संपादकीय जून 2012
टीम अन्ना ने प्रधानमंत्राी एवं उनके मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाये हैं। इससे पूरी यूपीए सरकार एवं कांग्रेस पार्टी में घमासान मचा हुआ है। टीम अन्ना ने यह दावा किया है कि यदि वह गलत है तो उसके खिलाफ मुकदमा दायर करो और उसे जेल में डालो। सरकार न तो जांच कराने के लिए तैयार है और न ही टीम अन्ना के खिलाफ कुछ करने के लिए। अब सवाल यह उठता है कि सरकार चाहती क्या है? यह बात तो सभी लोग कह रहे हैं कि प्रधानमंत्राी तो ईमानदार हैं, मगर उनकी कैबिनेट ईमानदार नहीं है। आखिर प्रधानमंत्राी की उेसी ईमानदारी किस काम की जिसकी छत्राछाया में सिर्फ भ्रष्टाचार पनपे। आज स्थिति यह बन चुकी है कि सरकार के मंत्राी मालामाल हो रहे हैं और सरकार कंगाल हो रही है। अब तो यह सर्वविदित हो चुका है कि जब तक देश में व्यापक पैमाने पर हो रहे भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगेगा तब तक देश की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हो सकता है। देश की आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही है, मगर सरकार है कि भ्रष्टाचार पर काबू पाने में कामयाब नहीं हो पा रही है।
औद्योगिक उत्पादन में भारी गिरावट आई है। अप्रैल में वृद्धि दर 5.3 फीसद से घटकर 0.1 फीसद पर आ गयी है। पूंजीगत उत्पादों व विनिर्माण क्षेत्रा में गिरावट से यह दर गिरी है। वित्तमंत्राी प्रणब मुखर्जी का कहना है कि हालात बहुत चिंताजनक हैं, हमें सकारात्मक संकेत देने के लिए कदम उठाना है। रिजर्व बैंक पर दबाव बन सकता है, नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का मामला। अब सवाल यह उठता है कि सरकार जब हर मोर्चे पर फेल हो रही है तो आखिर उसका क्या कारण है? सरकार क्यों फेल हो रही है? सरकार एवं उसके मंत्राी यदि पाक-साफ हैं और ईमानदारी से अपना काम कर रहे हैं तो ऐसा क्यों हो रहा है? इससे बड़ी बात यह है कि सांच को आंच किस बात की? प्रधानमंत्राी एवं उनके मंत्राी यदि पूरी तरह ईमानदार हैं तो उन्हें जांच कराने में परहेज किस बात का? सरकार बार-बर कह रही है कि मंत्रियों के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं। प्रधानमंत्राी को सबूत किसलिए चाहिए? यदि टीम अनना पूरी तरह गलत है या एवं उसके आरोपों में दम नहीं है तो सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करती? टीम अन्ना तो अपने खिलाफ कार्रवाई के लिए तैयार है?
इस सरकार में नये-नये घोटालों का आये दिन पर्दाफाश हो रहा है। 2-जी स्पैक्ट्रम घोटाले में एक-एक आरोपी धीरे-धीरे जेल से बाहर आ गये। विपक्ष भी अब चुप है। जेल से बाहर आकर ए.राजा अपने आपको पाक-साफ बता रहे हैं। इसी को कहते हैं, ‘चोरी ऊपर से सीनाजोरी’। देश में महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है, उस पर जरा भी काबू नहीं हो रहा है। यह बात सभी को पता है कि महंगाई पर नियंत्राण न होने का कारण सिर्फ भ्रष्टाचार है। हर आदमी सिर्फ अपना स्वार्थ देख रहा है। नेता, पंूजीपतियों के इर्द-गिर्द घूमते नजर आ रहे हैं। पंूजीपतियों एवं उद्योगपतियों का घाटा तो सरकार की समझ में आ जाता है, मगर आम आदमी की तकलीफें एवं परेशानियां सरकार की समझ में नहीं आती हैं। कुल मिलाकर कहने का आशय यही है कि सरकार एवं पूरा सरकारी सिस्टम आम आदमी को केंद्र में रहकर काम करे, अन्यथा हालात दिन-प्रतिदिन और बिगड़ते जायेंगे।