ऋतु अनुरूप खान-पान ही स्वस्थ रहने की कुंजी


श्व में भारत ही एक ऐसा देश है जिसको प्राचीन काल से ही तपोभूमि की संज्ञा दी जाती रही है। यह मात्रा इसलिए नहीं कि यहां पर अध्यात्म की दृष्टि से अनेक तपस्वियों ने अध्यात्म का डंका विश्वभर में बजाया है बल्कि इसलिए कि भारत में लगभग सभी प्रकार के मौसम पाये जाते हैं, यह भी इसकी अपनी एक विशेषता है।
भारत में हर 200 कि.मी. के बाद खान-पान, रहन-सहन व भाषा इत्यादि में बदलाव देखने को मिल जाता है जो कि अनेकता में एकता का प्रतीक है। इसी के अनुरूप प्रकृति ने सभी प्राणियों के लिए विशेषकर मानव जाति के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए भिन्न-भिन्न प्रकार की फल, सब्जी, वनस्पति इत्यादि के उत्पादन का प्रावधान सदियों से किया है। स्वस्थ रहने के लिए जितना आवश्यक जल है, श्वांस है उतना ही आवश्यक ऋतुनुरूप खान-पान और दिनचर्या भी है।
भोजन अच्छे स्वास्थ्य के लिए सबसे जरूरी चीज है, लेकिन हर मौसम में एक जैसा खाना आपके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेहं हो सकता है। हर मौसम की जरूरत के हिसाब से खाने का अंदाज और खाने का स्वाद भी बदलना चाहिए। हर मौसम का अपना स्वभाव होता है जिसके अनुसार हम कपड़े पहनते हैं और रहन-सहन में बदलाव करते हैं। ठीक इसी तरह मौसम के बदलते ही हमारे खाने-पीने का अंदाज़ भी बदल जाना चाहिए ।
मौसम के अनुसार खान-पान और दिनचर्या को आयुर्वेद में ऋतुचर्या कहा जाता है। ऋतु मतलब मौसम और चर्या मतलब आहार-विहार। इसमें अलग-अलग ऋतु में शरीर के तीनों दोषों वात, (वायु), पित्त (अग्नि) और कफ (जल) को संतुलित किया जाता है। आयुर्वेद में बताया गया है कि आपकी सेहत और मौसम में गहरा संबंध है।

गर्मियों के कुछ विशेष खाद्य पदार्थ जिनके सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) बढ़ती है और बीमार पड़ने की आशंका कम हो जाती है।
छाछ – एक पेय है जो दही से बनता है। मूलतः दही को मथनी से मथकर घी निकालने के बाद बचे हुए द्रव को छाछ कहते हैं। यह पेय गरम जलवायु वाले देशों (जैसे भारत) में बहुत लोकप्रिय है। भोजन के बाद मट्ठा पीना स्वास्थ्य के लिए ठीक माना जाता है। हालाँकि, इसकी मांग पूरे वर्ष होती है, परन्तु गर्मी के समय में यह अधिक होती है क्योंकिं इससे पेट और शरीर को ठंडक मिलती है और मौसम की तीव्रता से भी बचाव होता है।

छाछ पीने के फायदे –
द छाछ पीने से मोटापा कम होता है।
द बार-बार पेशाब की तकलीफ है तो छाछ में नमक डालकर पीने से तकलीफ कम होती है।
द दही का पानी या छाछ पीने से मुंह के छाले कम हो जाते हैं।
द छाछ में अजवाइन डालकर पीने से पेट के अंदर के कीटाणु समाप्त हो जाते हैं।
द छाछ में गुड़ डालकर पीने से पेशाब में होने वाली जलन कम होती है।
द छाछ में जायफल का पाउडर डालकर पीने से सर दर्द कम होता है।
द खाली पेट छाछ पीने से पेट दर्द की तकलीफ कम होती है।
द छाछ में शक्कर और काली मिर्च का पाउडर डालकर पीने से पित्त और एसिडिटी की तकलीफ कम होती है।
द छोटे बच्चों के जब दांत निकलते हैं तो उनको चार-चार चम्मच छाछ दिन में तीन-चार बार पिलाने से दांत में होने वाली तकलीफ कम होती है।
द महत्व की बात यह है कि 3 दिन बिना कुछ खाए-पिए छाछ पीने से शरीर का पंचकर्म अपने आप हो जाता है।

जामुन –
जामुन के बहुत सारे औषधीय गुण होते हैं। गर्मी के मौसम में आम के आने के समय जामुन (इसंबा इमततल) भी आ जाता है। आयुर्वेद में जामुन को सबसे ज्यादा मधुमेह को नियंत्राण करने के लिए जाना जाता है।

जामुन के गुण और फायदे-
द जामुन के रस का उपयोग मुंहासों को कम करने के लिए किया जाता है।
द जामुन का त्वचा के रोगों को दूर करने के लिए आंतरिक और बाह्य दोनों प्रकार से उपयोग कर सकते हैं।
द बच्चे हों या बड़े, सभी को आंखों से संबंधित परेशानी होती ही है। जामुन के 15-20 मुलायम पत्तों को 400 मिली पानी में पका लें। जब यह काढ़ा एक चौथाई बच जाए तो इसे ठंडा करके इससे आंखों को धोएं। इससे आंखों की समस्या में लाभ होता है।
द कानों में समस्या होने पर जामुन की गुठली को पीसकर शहद में मिला लें और इसकी 1-2 बूंद कान में डालने से कान का बहना, कान में दर्द आदि बन्द हो जाता है।
द दांतों की समस्या से आराम दिलाने के लिए फायदेमंद होता है। इसके लिए जामुन के पत्तों को जलाकर उसकी राख बना लें। इसे मंजन की तरह दांत और मसूड़ों पर मलने से दांत और मसूड़े मजबूत होते हैं।
द जामुन के पत्तों के रस से कुल्ला करने पर मुंह के छालों में आराम होता है।
द पथरी की समस्या में भी जामुन बहुत फायदेमंद साबित होता है। ऐसा कहा जाता है कि पके हुए जामुन के फल को खाने से पथरी गल कर निकल जाती है। इसके साथ ही जामुन के 10 मिली रस में थोड़ा सा सेंधा नमक मिला लें।
द जामुन की गुठली के पाउडर का सेवन डायबिटीज की समस्या से आराम दिलाने और ब्लड शुगर को कम करने में मददगार होता है।

नारियल –
नारियल एक ऐसा फल है जिसका हर हिस्सा बहुत उपयोगी होता है। नारियल का पानी स्वादिष्ट और पौष्टिक होने के साथ कई तरह के खनिज और पोषक तत्वों से भरपूर होता है। आयुर्वेद में नारियल पानी और इसके गुणों के बारे में विस्तार से बताया गया है। कच्चे या हरे नारियल के अंदर मौजूद पानी को पौष्टिक पेय माना गया है। नारियल पानी हर उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद है। कई चिकित्सक गर्मियों के मौसम में नियमित रूप से नारियल पानी पीने की सलाह देते हैं।

नारियल पानी के फायदे-
द प्यास बुझाता है नारियल पानी-शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) होने पर भी नारियल पानी पीना फायदेमंद होता है।
द डायरिया होने पर यह शरीर में पानी की कमी दूर करने के साथ-साथ खनिज लवणों की आपूर्ति भी कर देता है।
द यह शरीर और पेट की गर्मी को शांत करता है और शरीर को ठंडक पहुंचाता है। नियमित रूप से पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ-साथ शारीरिक शक्ति भी बढ़ाता है।
द नारियल पानी के नियमित सेवन से यह लीवर की गर्मी को दूर करता है और पेट में सूजन, पाचन खराब होने जैसे लक्षणों से आराम दिलाता है व किडनी की सूजन भी कम होती है।
द नारियल के पानी को नाक में डालने से माइग्रेन का दर्द कम होता है और नारियल पानी से नियमित चेहरा धोने से चेहरे के मुंहासे और झाइयां कम होती हैं और चेहरे की चमक बढ़ती है।
द कच्चे नारियल का पानी शरीर में वात एवं पित्त दोष की अनियमितता को संतुलित करता है। वात और पित्त दोष के असंतुलन से होने वाले रोगों को दूर करता है।
द नारियल पानी का सेवन गर्मियों के मौसम में ज्यादा लाभकारी माना जाता है। इससे कई तरह की हानिकारक बीमारियों से बचाव होता है। बच्चों को कोल्ड ड्रिंक न देकर उन्हें नारियल पानी पीने को दिया जा सकता है।

दलिया –
आम तौर पर बीमार लोगों को दलिया खिलाया जाता है, लेकिन दलिया बीमारों का ही भोजन है यह सोचना गलत है। यह एक सेहतमंद भोजन है। बाजार में कई प्रकार के दलिया उपलब्ध होते हैं जैसे- भुना हुआ दलिया एवं अंकुरित दलिया विशेष महत्व रखते हैं।

दलिया खाने के फायदे –
द दलिया एक पौष्टिक भोजन है जो पोषण की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। दलिया आपके लिए अनिवार्य तत्वों की पूर्ति करता है, पाचन तंत्रा बेहतर कार्य करता है और फाइबर से भरपूर होने के कारण पेट संबंधी समस्याओं का सरलता से निराकरण करने में मददगार साबित होता है।
द वजन कम करने वालों के लिए रात के खाने में सिर्फ दलिये का सेवन काफी फायदेमंद है। एक कटोरी पतली दलिया आपकी भूख भी मिटाएगी, पाचन भी दुरुस्त करेगी और फाइबर से भरपूर होने के कारण वजन कम करने में भी सहायक होगी।
द डायबिटीज रोगियों के लिए दलिया बेहद फायदेमंद होता है। यह मैगनीज का एक बेहतरीन स्रोत है, जो डायबिटीज को कंट्रोल रखने में मददगार साबित होता है।
द फैट फ्री या अत्यधिक कम कैलोरी वाला दलिया आपके लिए ऊर्जा का एक बेहतरीन स्रोत है। यह किसी भी मसालेदार स्वादिष्ट खाने की अपेक्षा दुगुनी ऊर्जा प्रदान करता है और कोलेस्ट्रॉल के जमाव को कम करने में मदद करता है।
ऋतुनुरूप जीवन जीने से मानव न केवल स्वस्थ रह सकता है बल्कि दीर्घायु भी प्राप्त कर सकता है। जानकारियों के अभाव में व पाश्चात्य जीवनशैली से प्रभावित होकर मानव ने अपने आप को बीमारियों से स्वयं को घेरने का निमंत्राण दे दिया है जिसको सुधारे बगैर मानव प्राकृतिक जीवन जीने के अपने उद्देश्य को नहीं पा सकता। द

  • संपदा जैन
    लू लगने पर कुछ घरेलू उपचार
    द इमली के गूदे को हाथ की हथेलियों और पैरों के तलवों पर मलने से लू का असर खत्म हो जाता है।
    द छह-सात कच्चे आम (अमियां) उबाल लें या राख में सेंक कर भून लें। फिर इन्हें कुछ देर ठंडे पानी में रखें। ठंडा हो जाने पर छिलका उतार कर जितने ग्लास पना बनाना हो उतना पानी लें। फिर उबले आमों का गूदा हाथों से निकालकर पानी में अच्छी तरह घोल लें। तत्पश्चात थोड़ा सा गुड़, धनियां, नमक व काली मिर्च डालकर पने को तैयार करें। यह पना दिन में तीन से चार बार पीने से रोगी को तुरंत आराम मिल जाता है।
    द लू लगने पर प्याज के रस से कनपटियों और छाती पर मालिश करें। जल्दी आराम मिलेगा।
    द आलू बुखारे को गर्म पानी में डाल कर रखें और उसी पानी में मसल लें। इसे भी आम के पने की तरह बना कर पीने से लू लगने से होने वाली जलन और घबराहट खत्म हो जाती है।
    द लू लगने से रोगी को तेज बुखार चढ़ता है। इसके लिए इमली को उबाल कर उसे छान लें और शर्बत की तरह पियें। इमली को उबालकर उस पानी में तौलिया भिगो कर उसके छींटे मारने से भी लू में आराम मिलता है।
    द भुने हुए प्याज को पीस कर उसमें जीरे का चूर्ण और मिश्री मिलाकर खाने से लू से राहत मिलती है।
    द रोजाना भोजन के साथ कच्चा प्याज खाने से
    लू नहीं लगती है, ऐसी मान्यता है।
    द धनियां के पानी में चीनी मिला कर पीने
    से लू का असर कम होता है।