सेहत के लिए रामबाण हैं दादी-नानी के घरेलू नुस्खे एवं मौसमी फल


युर्वेद में मानव की आयु किस प्रकार बढ़े, उसके वर्णनों का उल्लेख हमारे ऋषि, मुनि, तपस्वी, दार्शनिक व आध्यात्मिक शख्सियतों द्वारा समय-समय पर बताया गया है जो कि ग्रंथों में संकलित है। जड़ी-बूटियों और वनस्पतियों का ज्ञान भंडार अपार है जिसकी हम चर्चा इस छोटे प्रयास में नहीं कर सकते परंतु कुछ ऐसे कथन जरूर हैं जिनको कि अपने जीवन में अपनाकर मानव अपने आप को स्वस्थ रख सकता है और पूर्ण आयु जी सकता है।
ऐसा ही एक कथन है कि स्वस्थ रहने के लिए हमें ऋतुओं के अनुरूप फल खाना चाहिए क्योंकि ईश्वर स्वरूपा प्रकृति ने जिस-जिस प्रकार की समस्याएं मानव जीवन में आ सकती हैं उन सबका समाधान भी दिया है। यह एक अलग बात है कि हम अज्ञानता के कारण उसको पहचानते नहीं। इसी कड़ी में कुछ फल व सब्जियांें का जिक्र कर रही हूं।

भीगी मूंगफली सेहत का खजाना –
मूंगफली में कई स्वास्थ्यकारी पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें प्रोटीन और फाइबर की उच्च मात्रा पाई जाती है। मूंगफली का उपयोग, हृदय रोग, डायबिटीज, अल्जाइमर और कैंसर से बचाव में मदद कर सकता है। वैज्ञानिक शोध कहते हैं कि मूंगफली और इससे बने उत्पाद कुपोषण से पार पाने में सहायक हो सकते हैं इसलिए मूंगफली को सेहत और स्वास्थ्य का पॉवर पैक कहा जा सकता है।
द मूंगफली का सेवन अगर रात में भिगोने के बाद सुबह उठकर किया जाए तो उसके कई बेहतरीन स्वास्थ्य फायदे देखने को मिल सकते हैं।
द पोटैशियम, कॉपर, कैल्शियम, आयरन और सेलेनियम जैसे गुणों से भरपूर मूंगफली को भिगोकर खाने से उसकी पौष्टिकता और भी बढ़ जाती है।
द हार्ट के लिए बढ़िया – भीगी मूंगफली ब्लड सर्कुलेशन कंट्रोल करके शरीर को हार्ट अटैक के साथ कई हार्ट प्रॉब्लम से बचाती है।
द मसल्स करे टोंड – शरीर के आड़ी-टेढ़ी मसल्स से परेशान हैं या फिर ये आपका लुक खराब कर रहे हैं तो रोजाना भीगी हुई मूंगफली खाएं, इससे धीरे-धीरे आपकी मसल्स टोंड होंगी।
द गैस और एसिडिटी – पोटैशियम, मैगनीज, कॉपर, कैल्सियम, आयरन, सेलेनियम के गुणों से भरपूर मूंगफली को भिगो कर सुबह खाली पेट खाने से गैस और एसिडिटी की परेशानी दूर होती है।
द जोड़ों और कमर दर्द – सर्दियों में कमर और जोड़ों का दर्द बहुत दिक्कत देता है। ऐसे में मूंगफली इस रोग से आपको आराम दिला सकती है।
द याददाश्त बढ़ाती है – बच्चों को सुबह भीगी मूंगफली के कुछ दाने खिलाने से इसमें मौजूद विटामिन आंखों की रोशनी और याददाश्त तेज करते हैं।
द स्किन के लिए अच्छा – इसमें ओमेगा 6 फैटी एसिड्स होते हैं। ये स्किन सेल्स के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। इससे रंग गोरा होता है व स्किन की चमक बढ़ती है।

लीवर की सभी समस्याओं का रामबाण इलाज –
अगर आपका लीवर छोटा, कठोर है, सूजा हुआ है तो ये प्रयोग ऐसे में अचूक हैं। अगर आप अनेक दवायें खा-खा कर परेशान हो गए हैं तो इस नुस्खे को भी एक बार जरूर अपनायें।
द एक कागजी नीबू (अच्छा पका हुआ) लेकर उसके दो टुकड़े कर लें। फिर बीज निकालकर आधे नीबू के बिना काटे चार भाग करें पर टुकड़े अलग-अलग
न हों।
द तत्पश्चात एक भाग में काली मिर्च का चूर्ण, दूसरे में काला नमक अथवा सेंधा नमक, तीसरे में सोंठ का चूर्ण और चौथे में मिश्री का चूर्ण (या शककर) भर दें। रात को प्लेट में रखकर ढक दें।
द प्रातः भोजन करने से एक घंटे पहले इस नीबू की फांक को मंदी आंच या तवे पर गर्म करके चूस लें।

इस प्रयोग से होने वाले लाभ –
द आवश्यकतानुसार सात से इक्कीस दिनों तक लेने से लीवर सही हो जाता है।
द इससे यकृत विकार ठीक होने के साथ पेट दर्द और मुंह का जायका ठीक होगा।
द यकृत के कठोर और छोटा होने के रोग में अचूक है।
द पुराना मलेरिया, ज्वर, कुनैन या पारा के दुर्व्यवहार, अधिक मद्यपान, अधिक मिठाई खाना, अमेबिक पेचिश के रोगाणु का यकृत में प्रवेश आदि कारणों से यकृत रोगों की उत्पत्ति होती है। बुखार ठीक होने के बाद भी यकृत की बीमारी बनी रहती है और यकृत कठोर और पहले से बड़ा हो जाता है।
द रोग के घातक रूप ले लेने से यकृत का संकोचन होता है।
द यकृत रोगों में आँखों व चेहरा रक्तहीन, जीभ सफेद, रक्ताल्पता, नीली नसें, कमजोरी, कब्ज, गैस और बिगड़ा स्वाद, दाहिने कंधे के पीछे दर्द, शौच आंवयुक्त कीचड़ जैसा होना, आदि लक्षण प्रतीत होते हैं।

कुछ सावधानियां भी बरतनी चाहिए जैसे कि –
द दो सप्ताह तक चीनी अथवा मीठे का इस्तेमाल न करें, चीनी के बजाय दूध में चार-पांच मुनक्का डाल कर मीठा कर लें, रोटी भी कम खाएं। अगर उपचार चल रहा हो तो रोटी बिलकुल न खाकर सब्जियों में मसाला न डालें और फल ही लें।
द इस रोग में जैसे टमाटर, पालक, गाजर, बथुआ, करेला, लौकी, आदि शाक-सब्जियां और पपीता, आंवला, जामुन, सेब, आलू बुखारा, लीची आदि फल तथा छाछ आदि का अधिक प्रयोग करें।
द घी और तली वस्तुओं का प्रयोग कम से कम करें।

पुदीना की चाय –
पुदीना सबसे ज्यादा अपने अनोखे स्वाद के लिए ही जाना जाता है। आयुर्वेद में सदियों से पुदीने का इस्तेमाल औषधि के रूप में हो रहा है। स्वाद लाने के साथ-साथ यह आपके सेहत में भी सुधार लाता है। यह चिकित्सा जगत में प्रचलित रूप से अरोमाथिरेपी में उपयोग किया जाता है। पुदीने का इस्तेमाल पत्ते, तेल, चाय आदि के रूप में कर सकते हैं।
पुदीना शरीर और मन पर ठंडा और शांत प्रभाव छोड़ता है, जिसकी मुख्य वजह इसमें मौजूद मेन्थॉल है। यह जड़ी-बूटी मैंगनीज, तांबा और विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत है। इसके अलावा यह एंटीऑक्सीडेंट, जीवाणुरोधी, एंटीवायरल आदि गुणों की वजह से भी जाना जाता है। स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए आप पुदीने से बनी चाय या फिर सूप-सलाद का भी सेवन आकर सकते हैं।
पुदीना की चाय पीने से बार-बार छींक आने की समस्या दूर होती है। पुदीना की चाय बनाने के लिए 8-10 पत्तियों, 1/2 छोटा चम्मच काली मिर्च, 1/2 छोटा चम्मच काला नमक, 2 कप पानी की जरूरत होगी। पुदीना की चाय बनाने के लिए एक पैन में धीमी आंच पर पानी उबालें। फिर उसमें काला नमक, काली मिर्च, पुदीना की पत्तियां मिलाएं और उसमें शहद मिलाएं। एक उबाल आने के बाद छानकर पी लें।
द पुदीना और शहद का चूर्ण – शहद में प्रोटीन, विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी, फॉस्फोरस आदि गुण पाए जाते हैं। सर्दी-खांसी और छींक आने की समस्या दूर करने के लिए आप पुदीना और शहद के मिश्रण से बनने वाले चूर्ण का इस्तेमाल करें। चूर्ण बनाने के लिए पुदीना के पत्तों को सुखा कर पाउडर बना लें। इसमें शहद मिलाएं और चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ लें।
द पुदीना तेल – पुदीना तेल की 5 से 6 बूंदों को यूकेलिप्टिस और लौंग के तेल के साथ मिलाएं। इसे गरम पानी में डालकर स्टीम लें।
द पुदीना और काली इलायची – पुदीना के ताजे पत्तों को धोकर पीस लें। पुदीना के पेस्ट में काली इलायची मिला लें। इस मिश्रण को गरम पानी में उबालें, फिर उसमें शहद मिला लें। पुदीना और काली इलायची से बने काढ़े का सेवन करने से बार-बार छींक आने की समस्या दूर होगी।
द पुदीना का काढ़ा – पुदीना का काढ़ा बनाने के लिए लौंग, दालचीनी, तुलसी पत्ते, हल्दी पाउडर, पुदीना पत्ते, गुड़ पाउडर को पानी में मिलाकर काढ़ा बना लें। पुदीना का काढ़ा दिन में 2 से 3 बार पी सकते हैं।
इस प्रकार यदि छोटी-छोटी बातों की जानकारी रखें और उनका अपने जीवन में उपयोग करने लगें तो हमें बार-बार डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और हम अपने को पूर्ण रूप से स्वस्थ भी रख सकेंगे। द

  • सम्पदा जैन

अनानास
अनानास एक ऐसा फल है, जिसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाये जाते हैं। यह स्वास्थ्य लाभ से जुड़े गुणों का भंडार भी है। यह फल विटामिन ए और सी से लेकर एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर, कैल्शियम, पोटैशियम, फास्फोरस, मैंगनीज और फोलेट से भरपूर है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करते हैं और हमारे शरीर को रोगों से बचाते भी हैं।
द अनानास का गर्म पानी – अनानास का गर्म पानी जीवन भर कैंसर से बचा सकता है। गर्म अनानास, कैंसर कोशिकाओं को मारता है। अनानस के पतले 2 से 3 टुकड़े एक कप में काट लें, गर्म पानी डालें, यह ‘क्षारीय पानी’ होगा। गर्म अनानास कैंसर रोधी पदार्थ छोड़ता है, जो दवा में प्रभावी कैंसर उपचार में नवीनतम प्रगति है।
द अनानास के गर्म फल में सिस्ट और ट्यूमर को मारने का असर होता है। सभी प्रकार के कैंसर को ठीक करने के लिए सिद्ध।
द अनानास का गर्म पानी शरीर से सभी कीटाणुओं और विषाक्त पदार्थों को मार सकता है।
द अनानास के अर्क की दवा केवल हिंसक कोशिकाओं को नष्ट करती है, वह स्वस्थ कोशिकाओं को प्रभावित नहीं करती है।
द अनानास के रस में अमीनो एसिड और अनानास पॉलीफेनोल्स उच्च रक्तचाप को नियंत्रित कर सकते हैं।
आईसीबीएस जनरल अस्पताल के प्रोफेसर डॉक्टर गिल्बर्ट ए. क्वाके ने जोर देकर कहा कि अगर हर कोई जो इस बुलेटिन को प्राप्त करता है, वह दस प्रतियां दूसरों तक ले जा सकता है, तो निश्चित रूप से कम से कम एक जीवन बच जाएगा।