क बहुत पुरानी कहावत है कि मानव का मन भी बोलता है। इस कहावत का अभिप्राय है कि पुण्य और पवित्रा और सात्विक मानव जब ईश्वर की आस्था में लीन होकर किसी निष्कर्ष या निर्णय की तरफ बढ़ने के लिए किसी समस्या का समाधान ढूंढता है तो उस समय मन की आवाज सुननी तो चाहिए।
आवाज से मतलब यह है कि जिस बात को लेकर मानव चिंतित है, उस अंदरूनी प्रेरणा को समझकर वह कार्य करता है तो अवश्य सफल होता है। ऐसे ही ईश्वर में विश्वास रखने वाला व्यक्ति यानी प्रकृतिसत्ता संकेतों के माध्यम से इशारे करती है जिन्हें समझना चाहिए।
हालांकि, अनुभवी व्यक्ति इन सब चीजों को जल्दी से पकड़ लेती हैं। ऐसे ही कुछ संकेत प्रकृतिसत्ता द्वारा जीवन में मिलते और दिखते रहते हैं जिनकी जानकारी अगर हो तो ईश्वरीय प्राप्ति में सहायक होते हैं।
दुनिया में बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें उनके जीवन में दैवीय सहायता मिलती है। किसी को ज्यादा तो किसी को कम। कुछ तो ऐसे हैं जिनके माध्यम से दैवीय शक्तियां अच्छा काम करवाती हैं। सवाल यह उठता है कि आम व्यक्ति कैसे पहचाने कि दैवीय शक्तियां उसकी मदद कर रही हैं या उसकी पूजा-पाठ-प्रार्थना का असर हो रहा है? कुछ संकेतों से इसका आभाष सकते हैं –
द अच्छा चरित्रा- शास्त्रा कहते हैं कि दैवीय शक्तियां सिर्फ उसकी ही मदद करती हैं, जो दूसरों के दुखों को समझता है, जो बुराइयों से दूर रहता है, जो नकारात्मक विचारों से दूर रहता है, जो नियमित अपने ईष्ट की आराधना करता है या जो पुण्य के काम में लगा हुआ है। बस थोड़ा सा इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि अच्छे मार्ग पर हैं और ऊपरी शक्तियां देख रही हैं।
द ब्रह्म मुहूर्त- विद्वान लोग कहते हैं कि यदि आंखें प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में अर्थात रात्रि 3 से 5 के बीच अचानक ही खुल जाती हैं तो समझ जाएं कि दैवीय शक्तियां साथ हैं, क्योंकि यही वह समय होता है जब देवता लोग जागृत रहते हैं। यह भी कहा जाता है कि सत्व गुण प्रधान लोग इस काल में स्वतः ही उठ जाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार इस समय बहने वाली वायु को अमृत तुल्य कहा गया है। यह अमृत बेला होती है। कहते हैं कि इस काल में दुनिया के मात्रा 13 प्रतिशत लोगों की ही नींद खुलती है।
द सपने में देव दर्शन- यदि बारंबार मंदिर या किसी देव स्थान के ही सपने आते रहते हैं। सपने में आसमान में ही उड़ते रहते हैं या सपने में देवी-देवताओं से वार्तालाप करते रहते हैं तो समझ जाइए कि दैवीय शक्तियां मेहरबान हैं।
द पूर्वाभास- यदि आने वाली घटनाओं का पहले से ही ज्ञान हो जाता है या पूर्वाभास हो जाता है तो समझ जाइए कि दैवीय शक्तियों की आप पर
कृपा है।
द पारिवारिक प्रेम- पत्नी, बेटा, बेटी और सभी परिजन आज्ञा का पालन कर रहे हैं तो समझ जाइए कि दैवीय शक्तियां आप से प्रसन्न हैं।
द भाग्य से भी तेज- जीवन में अचानक से लाभ प्राप्त हो जाता है। किसी भी कार्य में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं होती है और सभी कुछ बहुत आसानी से मिल जाता है, तो समझ जाइए कि दैवीय शक्तियां आपकी मदद कर रही हैं।
द सुगंधित वातावरण का अहसास- यदि कभी-कभी यह महसूस होता है कि आस-पास कोई है या बिना किसी कारण ही अपने आस-पास सुगंध का अहसास हो तो समझ जाइए कि अलौकिक शक्तियां आपके आस-पास आपकी मदद के लिए हैं।
द सुहानी हवा- जब पूजा कर रहे हैं और यदि लगे कि अचानक सुहानी हवा का झोंका या प्रकाश पुंज आ गया और शरीर में सिहरन दौड़ने लगे। ऐसा तो पहले कभी हुआ नहीं तो समझिए कि देवी-देवता प्रसन्न हैं।
द ठंडी हवा का घेरा- भूमि पर रहते हुए भी कभी-कभी यह अहसास हो कि आस-पास बादल या ठंडी हवा का एक पुंज है जिसने घेरा हुआ है तो समझ जाइए कि अलौकिक या दैवीय शक्ति ने आपको घेर रखा है। ऐसा अक्सर बहुत ज्यादा पूजा-पाठ करने वाले व्यक्ति के साथ होता है।
द रोशनी का पुंज- अचानक ही तेज रोशनी का पुंज दिखाई दे जिसकी कल्पना भी नहीं कर सकते या अचानक ही कानों में मधुर संगीत सुनाई दे और आश्चर्य करें कि यहां तो कोई संगीत बज ही नहीं रहा फिर भी वह कानों में सीटी बजने की तरह सुनाई दे, तो समझ जाइए कि आप दैवीय शक्ति के सान्निध्य में हैं। ऐसा अक्सर उन लोगों के साथ होता है, जो निरंतर ही अपने ईष्टदेव का मंत्रा जप कर रहे होते हैं।
द किसी की आवाज सुनाई देना- रात्रि में गहरी नींद में सो रहे हैं और आपको लगता है कि किसी ने आवाज दी और अचानक ही उठ जाते हैं, लेकिन फिर आभास होता है कि यहां तो कोई नहीं है लेकिन आवाज तो स्पष्ट थी। ऐसा आपके साथ कई बार हो जाता है तो समझ जाइए कि आप पर किसी अलौकिक शक्ति की मेहरबानी है। ऐसे में हनुमान जी का ध्यान करें और धन्यवाद दें।
इस प्रकार यदि देखा जाये तो दैवीय शक्तियां समय-समय पर मानव को किसी न किसी रूप में इशारा करती हैं, अब यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह दैवीय शक्तियों के इशारों को कितना जान एवं समझ पाता है। अतः आवश्यकता इस बात की है कि मानव दैवीय शक्तियों के इशारों को समझे और दैवीय शक्तियों की ओर अधिक कृपा प्राप्त करने के लिए उन पर अमल करे। द – संपदा जैन
दूध और मुनक्का
दूध और मुनक्का दोनों ही ऐसे आहार हैं जो पोषक तत्वों से पूर्ण होते हैं। दूध में कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन डी अच्छी मात्रा में होते हैं तो वहीं मुनक्का में फाइबर, कार्बस, आयरन, पोटैशियम इत्यादि होते हैं।
दूध में मुनक्का डालकर खाने के फायदे –
द यदि हम प्रतिदिन दूध में मुनक्का डालकर खाते हैं तो इससे तनाव, मानसिक दबाव जैसी समस्याओं का निदान होता है। इसे खाने से दिमाग की कार्यशैली भी सुधरती है और याददाश्त भी तेज होती है।
द रात में सोने के पहले यदि हम दूध में मुनक्का डालकर खाते हैं तो इससे नींद से सम्बंधित समस्याओं में सुधार होता है।
द मुनक्का में भरपूर आयरन होता है जिन्हें एनीमिया की समस्या होती हैं उन्हें प्रतिदिन सुबह दूध और मुनक्का का सेवन करना चाहिए। इससे खून की कमी भी नहीं होती है।
द मुनक्का में पोटैशियम भी अधिक मात्रा में रहता है। पोटैशियम ब्लड प्रेशर को नियंत्राण में रखने और बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक होता है। दूध और मुनक्का के इस आहार से हृदयघात की संभावनाएं कम हो जाती हैं।
द दूध में मुनक्का डालकर खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं। दूध में कैल्शियम होता है और मुनक्का में बोरॉन नामक एक रसायन होता है जो हड्डियों की सेहत की देखभाल करता है। गठिया के रोगियों को यह मिश्रण विशेष रूप से दिया जाता है। द
चार पैसे का गणित
चपन में बुजुर्गों से एक कहानी सुनते थे कि इंसान 4 पैसे कमाने के लिए मेहनत करता है या बेटा कुछ काम करोगे तो 4 पैसे घर में आएँगे। आज चार पैसे होते तो कोई ऐसे न बोलता, आखिर क्यों चाहिए ये चार पैसे और चार ही क्यों? तीन या पाँच क्यों नहीं? तीन पैसों में क्या कमी हो जायेगी या पांच से क्या बढ़ जायेगा?
आाइये समझते हैं कि इन चार पैसों का क्या करना है?
पहला पैसा भोजन है, दूसरे पैसे से पिछला कर्ज उतारना है, तीसरे पैसे का आगे कर्ज देना है और चौथे पैसे को कुएं में डालना है।
- भोजन – भोजन अर्थात अपना तथा अपने परिवार का भरण-पोषण करने, पेट भरने के लिए।
- पिछला कर्ज उतारना- अपने माता-पिता की सेवा के लिए उनके द्वारा किए गये हमारे पालन-पोषण का कर्ज उतारने के लिए।
- आगे कर्ज देना- सन्तान को पढ़ा-लिखा कर काबिल बनाने के लिए ताकि आगे वृद्धावस्था में वे आपका ख्याल रख सकें।
- कुएं में डालने के लिए- अर्थात शुभ कार्य करने के लिए दान, सन्त सेवा, असहायों की सहायता करने के लिए यानी निष्काम सेवा करना, क्योंकि हमारे द्वारा किए गये इन्हीं शुभ कर्मों का फल हमें इस जीवन के बाद मिलने वाला है।
इन महत्वपूर्ण कार्यों के लिए हमें चार पैसों की जरूरत पड़ती है, ऐसे में यदि तीन पैसे रह गए तो कार्य पूरे नहीं होंगे और पाँचवें पैसे की जरूरत ही नहीं है इसीलिए चार पैसे कमाने की बात कही जाती है और यही प्राचीन काल से प्रचलन में है। द