…सो क्या जाने पीर पराई ?
वैभववादी और बाजारवादी संस्कृति में देश में फल-फूलों से लदी अपार संपदा तो सभी राजनीतिज्ञों को दिखाई प...
वैभववादी और बाजारवादी संस्कृति में देश में फल-फूलों से लदी अपार संपदा तो सभी राजनीतिज्ञों को दिखाई प...
संत पंचमी धरती के श्रृंगार का पर्व है-प्रकृति उस समय मादक, मदिर और मधुर लगती हे। कलियों के गहनों से...
हमारे देश में 15 अगस्त और छब्बीस जनवरी दो राष्ट्रीय पर्व हैं। पर्व-त्यौहार में जो उल्लास-उमंग हमारे...
इस अंक के साथ ‘युग सरोकार’ का दूसरा वर्ष प्रारंभ हो रहा है। इस पत्रिका की एक वर्ष की यात्रा के कई अ...
युग सरोकार के प्रकाशन का उद्देश्य पत्रिकाओं के झुरमुट में एक और पत्रिका को शामिल करना भर नहीं है, बल...
ज्योति-पर्व दीावली आती है, तो संपूर्ण देश की धरती प्रकाश के प्रपात में स्नान करने लगती है और जगमगा उ...
अयोध्या फैसले ने राम-रहीम को बराबर वजन पर रखा और न्याय का पलड़ा किसी ओर झुका नहीं। भारतीय अदालत ने सद...
संगीत हमारे मन का पवित्रा भावोच्छ्वास होता है। भारतीय संगीत की पवित्राता और प्रभावत्ता तो अलग से रेख...
तंत्राता की आकांक्षा मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्ति है। आजादी किसी रूप में हो- आर्थिक, सामाजिक या व्य...
ईआईटी संयुक्त प्रदेश परीक्षा 2010 में हिन्दी के युवाओं ने हिन्दी माध्यम से परीक्षा देकर जो सफलता प्र...
यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल के एक वर्ष की अवधि पूरी हो चुकी है, जिसका सादा जश्न मनाने की योजना थी,...